MP Election 2023 मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम में विधानसभा चुनाव इस बार काफी दिलचस्प होने वाला हैं इस बार नर्मदा पुरम में दो भाईयों को टिकिट मिली है. जिसमे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विधायक डॉ. सीताराम शर्मा को भाजपा की ओर से टिकिट मिला है और उनके छोटे भाई को कांग्रेस की ओर से टिकिट मिली हैं.
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चुनावी मैदान में दो भाई आमने सामने।
नर्मदा नदी के किनारे बसे नर्मदापुरम जिसे पहले होशंगाबाद के नाम से जाना जाता हैं। इस बार इस क्षेत्र में काफी दिलचस्प होने जा रहा हैं मध्यप्रदेश का विधानसभा चुनाव। इनका राजनीति करियर की बात करे तो ये 7 बार बारी - बारी जीत हासिल कर चुके है। लेकिन अब इन दोनों में से किसी एक की जीत तय हैं। क्योंकि इस बार पहली बार दोनों भाई आमने सामने चुनाव में उतरे हैं।
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भाजपा ने अपने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा को टिकट दिया है और वही कांग्रेस ने इनके खिलाफ़ इनके छोटे भाई गिरजा शंकर शर्मा को ही मैदान में उतार दिया है। छोटे भाई कहते हैं की उनको कांग्रेस की तरफ से पहले ही टिकिट मिल चुकी हैं अब उनका कहना है वह इस मैदान से पीछे नहीं हटेंगे। वही बात करें सीताशरण शर्मा तो उन्होंने भी यह साफ कह दिया है कि पार्टी ने टिकिट दिया है तो उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेंगे। अगर दोनों भाइयों में कोई भी फेरबदल नहीं हुआ तो किसी एक भाई की जीत तो पक्की है ये तो चुनावी परिणाम ही बता पायेगा।
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शर्मा परिवार की राजनीति
दो अहम शहर नर्मदापुरम और इटारसी में इस विधानसभा में राजनीति का मुख्य चेहरा एक ही परिवार, परिवार के सर पर जिमेदारिया थी, डॉ. सीताराम शर्मा के चार भाई है। जिसमे कृपा शंकर कांग्रेस के मुख्य सचिव रह चुके है उस मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का कार्यकाल था। अब उनका बेटा ips ऑफिसर है। इनका एक और भाई जो भी 70 की दशक में चुनाव लड़ चुके है
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वही बात करें डॉ. सीताराम शर्मा की तो वह भाजपा की ओर से 5 बार विधायक रह चुके हैं सीताराम शर्मा 1990, 93 और 98 में लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं 2003 विधानसभा चुनाव में पारिवारिक समझौते के कारण उनकी जगह पर उनके छोटे भाई गिरजाशंकर शर्मा चुनाव में उतरे इन्होंने लगातार दो बार जीत हासिल की और फिर उनके पारिवारिक समझौते से एक फिर 2013 में एंट्री हुई डॉ. सीताशरण शर्मा की, वापसी के बाद दो बार विधायक रह चुके हैं।
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छोटे भाई ने बदली पार्टी क्यों
शर्मा परिवार का इस बार खतरे में थीं टिकट इसलिए छोटे भाई चल पड़े कांग्रेस का हाथ थामने। डॉ. शर्मा 2013 से 2018 तक विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में रहे। इसके बाद 2022 में बीजेपी सरकार बनने के बाद उन्हें कोई भी पद के लिए नही चुना गया. इससे शर्मा परिवार बीजेपी से मोहभंग हो गया, लेकिन डॉ. शर्मा की बदले उनका भतीजा और भवानी शंकर का बेटा पियूष शर्मा एक्टिव हो गए. सूत्रों के मुताबिक डॉ. शर्मा का टिकट कटने वाला था। और शर्मा परिवार से बाहर किसी और को टिकट मिलने वाला था। इसलिये शर्मा परिवार का गिरजा शंकर ने कांग्रेस का हाथ थामने चल पडे। और कांग्रेस भी इनकी बात सुनते हुए बीजेपी से पहले टिकट इसे दे दी। इनका कहना है की इनके परिवार से कोई एक न एक तो चुनाव लड़े। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने भी अपना प्लान बदला और डॉ. शर्मा को टिकट दे दिया।
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